Dr. A. P. J. Abdul Kalam Biography in Hindi, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी का जीवन परिचय

भारत के इतिहास में अनेक वैज्ञानिक हुए हैं, उनमें से एक थे डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम यह मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति नाम से मशहूर थे। इनकी विशेष कार्यों को देखते हुए इन्हें भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण द्वारा सम्मानित भी किया गया था।

Dr. A. P. J. Abdul Kalam Biography in Hindi, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी का जीवन परिचय
Dr. A. P. J. Abdul Kalam Biography in Hindi

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी का संक्षिप्त जीवन परिचय

पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम
जन्म 15 अक्टूबर 1931 ई.
जन्म स्थान धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु), भारत
मृत्यु 27 जुलाई 2015 ई.
मृत्यु स्थान शिलांग(मेघालय)
कर्मभूमि भारत
मुख्य रचनाएं इण्डिया 2020- ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम, माई जर्नी, इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया
विषय चिंतनपरक, आत्मकथात्मक
भाषा अंग्रेज़ी
नागरिकता भारतीय
लेखन शैली विचार प्रधान, भावनात्मक आदि।
उपाधि 40 से अधिक विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि
प्रसिद्धि वैज्ञानिक, मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति
विशेष योगदान बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास में अहम योगदान
पुरस्कारभारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण द्वारा सम्मानित

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी का जीवन परिचय

जीवन परिचय

मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति नाम से मशहूर डॉ॰ ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 ई॰ को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक भारतीय मुस्लिम परिवार में हुआ। उनके पिता जैनुलअबिदीन नाविक थे और उनकी माता अशिअम्मा एक ग्रहणी थी। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्हें छोटी उम्र में ही काम करना पड़ा। पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र बेचा करते थे। अपने स्कूल के दिनों से ही नई-नई चीजें सीखने पर ज्यादा ध्यान देते थे। अपनी स्कूल की पढ़ाई रामनाथपुरम् स्च्वात्र्ज मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की और उसके बाद तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिया, जहां से उन्होंने सन् 1954 ई॰ में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। उसके बाद वर्ष 1955 में मद्रास चले गए जहां से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की। सन् 1960 आपने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। 

मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद कलाम रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन में वैज्ञानिक के तौर पर भर्ती हुए। कलाम ने अपने कैरियर की शुरुआत भारतीय सेना के लिए छोटे हैलीकॉप्टर का डिजायन बनाकर की। कलाम पण्डित जवाहरलाल नेहरू द्वारा गठित "इण्डियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च" के सदस्य भी थे। इसी दौरान उन्हें प्रसिद्ध अन्तरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ कार्य करने का अवसर मिला। सन् 1969 में उनका स्थानान्तरण भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) में हुआ। यहाँ वे भारत के सेटेलाइट लांच ह्वीकल परियोजना के निदेशक के तौर पर नियुक्त किए गए थे। इस परियोजना की सफलता के परिणामस्वरूप भारत का प्रथम उपग्रह 'रोहिणी' पृथ्वी की कक्षा में वर्ष 1980 में स्थापित किया गया। 1963-64 के दौरान उन्होंने अमेरिका के अन्तरिक्ष संगठन नासा की भी यात्रा की।

जुलाई, 1992 से लेकर दिसम्बर, 1999 तक डॉ० कलाम प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सचिव थे। भारत ने अपना दूसरा परमाणु परीक्षण इसी दौरान किया था। इसमें डॉ० कलाम ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आर० चिदम्बरम के साथ डॉ० कलाम इस परियोजना के समन्वयक थे। इस दौरान मिले मीडिया कवरेज ने उन्हें देश का सबसे बड़ा परमाणु वैज्ञानिक बना दिया।

एक रक्षा वैज्ञानिक के तौर पर उनकी उपलब्धियों और प्रसिद्धि के मद्देनजर एन०डी०ए० की गठबंधन सरकार ने उन्हें वर्ष 2002 में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया तथा 25 जुलाई, 2002 को उन्होंने भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। डॉ० कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारतरत्न से नवाजा जा चुका था।

कलाम हमेशा से देश के युवाओं और उनके भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में बातें करते थे। इसी सम्बन्ध में उन्होंने देश के युवाओं के लिए "ह्वाट कैन आई गिव" पहल की शुरुआत भी की जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार का सफाया है। देश के युवाओं में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें 2 बार (2003 और 2004) 'एम०टी०वी० यूथ आइकॉन ऑफ द इयर अवार्ड' के लिए मनोनीत भी किया गया था।

देश और समाज के लिए किये गये उनके कार्यों के लिए डॉ० कलाम को अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। लगभग 40 विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद की डॉक्टरेट की उपाधि दी और भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण, पद्मविभूषण और भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'भारतरत्न' से अलंकृत किया। 26 जुलाई, 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिलाँग, में अध्यापन कार्य के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद करोड़ों लोगों के प्रिय और चहेते डॉ० अब्दुल कलाम परलोक सिधार गये।

कृतियां

डॉ० कलाम ने कई पुस्तकें लिखीं जिनमें से कुछ प्रमुख हैं-
  • इंडिया 2020: अ विजन फॉर द न्यू मिलेनियम
  • विंग्स ऑफ फायर: ऐन ऑटोबायोग्राफी
  • इग्नाइटेड माइंड्स: अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया
  • मिशन इंडिया
  • इंडोमिटेबल स्पिरिट

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