भारत के इतिहास में अनेक महान कवि और साहित्यकार हुए हैं, उनमें से एक थे कन्हैयालाल मिश्र "प्रभाकर"। यह भारत के इतिहास, साहित्य कला, संस्कृति आदि विषयों के ज्ञाता थे। इनकी विशेष रचनाओं को देखते हुए इन्हें साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत भी किया गया था।
Kanhaiyalal Mishra "Prabhakar" Biography in Hindi |
कन्हैयालाल मिश्र "प्रभाकर" जी का संक्षिप्त जीवन परिचय
पूरा नाम कन्हैयालाल मिश्र "प्रभाकर" जन्म 29 मई 1906 ई. जन्म स्थान देवबन्द , सहारनपुर, उत्तर प्रदेश, भारत मृत्यु 9 मई 1995 ई. मृत्यु स्थान उत्तर प्रदेश कर्मभूमि उत्तर प्रदेश, मुख्य रचनाएं भूले बिसरे चित्र, भूले बिसरे चित्र, महके आंगन चहके द्वार आदि। विषय यात्रा, वृन्तात, रिपोर्ताज आदि। भाषा हिंदी नागरिकता भारतीय लेखन शैली विचार प्रधान, व्याख्यात्मक, भावनात्मक आदि। उपाधि पी.एच.डी. और डि.लिट. प्रसिद्धि लेखक तथा विद्वान पुरस्कार पद्मश्री पुरस्कार द्वारा सम्मानित
पूरा नाम | कन्हैयालाल मिश्र "प्रभाकर" |
जन्म | 29 मई 1906 ई. |
जन्म स्थान | देवबन्द , सहारनपुर, उत्तर प्रदेश, भारत |
मृत्यु | 9 मई 1995 ई. |
मृत्यु स्थान | उत्तर प्रदेश |
कर्मभूमि | उत्तर प्रदेश, |
मुख्य रचनाएं | भूले बिसरे चित्र, भूले बिसरे चित्र, महके आंगन चहके द्वार आदि। |
विषय | यात्रा, वृन्तात, रिपोर्ताज आदि। |
भाषा | हिंदी |
नागरिकता | भारतीय |
लेखन शैली | विचार प्रधान, व्याख्यात्मक, भावनात्मक आदि। |
उपाधि | पी.एच.डी. और डि.लिट. |
प्रसिद्धि | लेखक तथा विद्वान |
पुरस्कार | पद्मश्री पुरस्कार द्वारा सम्मानित |
कन्हैयालाल मिश्र "प्रभाकर" जी जीवन परिचय
जीवन परिचय
हिन्दी साहित्य और हिन्दी पत्रकारिता के महान पत्रकार एवं राष्ट्र सेवक कन्हैयालाल मिश्र "प्रभाकर" जी का जन्म 29 मई 1906 ई. को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित देवबन्द नामक ग्राम के एक साधारण ब्राह्मण परिवार मे हुआ था।
इनकी परिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी, इन्होंने स्वध्याय से हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत आदि भाषाओं का अध्ययन किया। बाद में इन्होंने खुर्जा संस्कृत विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। वहां पर राष्ट्र नेता मौलाना आसफ अली का भाषण सुने और उससे प्रभावित होकर परीक्षा छोड़ दिए तथा देश सेवा के लिए स्वतंत्रता संग्राम में संलग्न हो गये और अपना सम्पूर्ण जीवन देश सेवा में समर्पित कर दिये। उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। भारतीय स्वतंत्रता का सपना लेकर इन्होंने साहित्य के क्षेत्र में कदम रखा, इनकी रचनाओं में अन्याय के विरुद्ध क्रोध और पीड़ित मानवता के प्रति करुणा दिखाई देता है। भारत सरकार द्वारा इन्हें 1990 ई. में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 9 मई 1995 ई. को इस महान साहित्यकार का निधन हो गया।
कृतियां
1. निबंध:- - महके आंगन चहके द्वार
- क्षण बोले कण मुस्काए
- बाजे पायलिया के घुंघरू
2. यात्रा वृत्त:-- हमारी जापान यात्रा
3. संस्मरण:-- दीप जले शंख बजे
4. रेखाचित्र:-- भूले बिसरे चित्र
- जिंदगी मुस्काराई
- माटी हो गई सोना
- नई पीढ़ी के विचार
- महके आंगन चहके द्वार
- क्षण बोले कण मुस्काए
- बाजे पायलिया के घुंघरू
- हमारी जापान यात्रा
- दीप जले शंख बजे
- भूले बिसरे चित्र
- जिंदगी मुस्काराई
- माटी हो गई सोना
- नई पीढ़ी के विचार
5. सम्पादन:-- नया जीवन
- विकास
- नया जीवन
- विकास
भाषा शैली
प्रभाकर जी की भाषा शैली विविध प्रकार की है, इन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू आदि भाषाओं के साथ देशज शब्दों, मुहावरों एवं लोकोक्तियों का भी प्रयोग किया है। इनकी भाषा अद्भुत प्रवाह और स्वाभाविकता लिए हूए है। इनके वाक्य विन्यास, पात्र और परिस्थिति के अनुसार बदल जाता है। इनके निबंधों में भावात्मक, वर्णनात्मक, विचारात्मक, अलंकारिक एवं नाटकीय शैली देखने को मिलते हैं।हिन्दी साहित्य में स्थान
हिन्दी साहित्य के श्रेष्ठ साहित्यकार, रेखाचित्र, निबंधकारों और संस्मरणकारो में प्रभाकर जी का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। प्रभाकर जी एक स्वतंत्रता सेनानी एवं समर्पित साहित्यकार के रूप में जाने जाते हैं साहित्य के क्षेत्र में उनकी सेवाएं संस्मरणीय है उन्होंने उच्च मानवीय मूल्यों की स्थापना कर हिंदी साहित्य को एक नए आयामों से परिचय कराया।
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